About Mughal Emperor Babur | Biography | Founder Of Mughal Dynasty | Full History And Facts About Babur

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मुग़ल साम्राज्य की नींव रखने वाले तैमूरलंग के वंशज बाबर ने भारत में कई वर्षों तक शासन किया। बाबर न सिर्फ एक महान योद्धा परन्तु एक महान शासक भी थे। बाबर ने 1527 में अयोध्या में एक मस्जिद बनवाई, जो 'बाबरी मस्जिद' के नाम से जानी जाती है। बाबर ने आगरा में ज्यामिति विधि से बाग़ बनवाया जिसे 'नूर-ए -अफ़ग़ान' या 'आरामबाग' के नाम से जाना जाता है और सड़क को मापने के लिए 'गज-ए -बाबरी' नामक माप का प्रयोग करवाया।

बाबर का जीवन परिचय      

                                

भारत के पहले मुगल सम्राट बाबर का पूरा नाम ज़हीरुद्दीन मोहम्मद बाबर था| जिनका जन्म 14 फरवरी 1483 में मध्य एशिया वर्तमान के उज़्बेकिस्तान में हुआ था। बाबर के पिता का नाम उमर शेख मिर्जा व माता का नाम कुतलुग निगार खानम था। बाबर अपने पिता की और से तैमूर का 5वां वंशज एवं माता की ओर से चंगेज खान का 14वां वंशज था। इस तरह जीत हासिल करना और कुशल प्रशासन बाबर को विरासत में ही मिले थे।

मुगल, मंगोल मूल के बरला जनजाति से आए थे, लेकिन बहुत समय से तुर्की क्षेत्रों में रहने किए कारण वो खुद को तुर्की मानते थे। इसलिए मुगल सम्राट ने तुर्कों से बहुत समर्थन हासिल किया और जिस सम्राज्य की उन्होनें नीवं रखी वह था, तुर्की नस्ल का “चगताई वंश” था। जिसका नाम चंगेज खां के दूसरे बेटे के नाम पर रखा गया था।

बाबर के पिता उमर शेख मिर्ज़ा फरगना नामक छोटे से राज्य के शासक थे। पिता की अचानक मृत्यु के बाद, शुरुआती दौर बाबर के लिए काफी चुनौती पूर्ण और संघर्षमय रहे और मात्र 12 साल की उम्र मे फ़रगना राज्य के शासन का कार्य संभाला। परन्तु उनके चाचाओं ने इस स्थिति का फायदा उठाया और बाबर को गद्दी से हटा दिया। कई वर्षों तक बाबर ने निर्वासन जीवन व्यतीत किया। सन 1496 में उज्बेक शहर समरकंद पर आक्रमण किया और उसे जीत लिया साथ ही अपना पैतृक राज्य फरगना भी ले लिया परन्तु ज्यादा समय तक राज्य नहीं कर पाए और उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

परन्तु इस संकट की घडी में भी बाबर के कई सहयोगिओं ने उनका साथ नहीं छोड़ा व उसके बाद बाबर ने कई वर्षों तक अपनी सेना बनाने पर ध्यान केंद्रित किया व अपनी प्रतिभा के दम पे सही स्थिति का फायदा उठाकर 1504 में काबुल पर अपना नियंत्रण स्थापित किया, जिसके बाद उन्होंने "पादशाह" की उपाधि धारण की। पादशाह से पहले बाबर ”मिर्जा” की पैतृक उपाधि धारण करते थे।

बाबर की मातृ भाषा चग़ताई थी। चगताई भाषा में उन्होंने अपनी जीवनी भी लिखी थी परन्तु उन्हें फ़ारसी भाषा में भी महारत हासिल थी।बाबर की 11 रानियां थी जिनसे इन्हे 20 बच्चे हुए। बाबर ने अपने पहले बेटे हुमायूं को अपना उत्तरराधिकारी बनाया था।


बाबर की विभिन्न युद्ध प्रणलियाँ :-

बाबर ने अपने जीवन काल में बहुत सी युद्ध प्रणलियाँ सीखी जिनका प्रयोग उन्होंने विभिन्न युद्ध जीतने मे किया।

                               
use of gun powder by babur


बाबर का भारत में आगमन :-


दिल्ली सल्तनत पर खिलजी राजवंश के पतन के बाद अराजकता बनी हुई थी। तैमूरलंग के आक्रमण के बाद सैय्यदों ने स्थिति का फायदा उठाकर दिल्ली की सत्ता पर आधिपत्य स्थापित कर लिया। तैमूरलंग के द्धारा  पंजाब का शासक बनाए जाने के बाद ख्रिज खान ने सय्यद वंश की स्थापना की। बाद में लोदी राजवंश के अफगानों ने सय्यदों को हटा के अपना सत्ता स्थापित कर ली। इसलिए बाबर को लगता था कि दिल्ली पर फिर से तैमूर वंशियों का शासन होना चाहिए।

बाबर ने जब दिल्ली पर आक्रमण किया तब भारत में काफी बिखराव की स्थिति थी। दिल्ली पर हमला करने से पहले भारत में दिल्ली, बंगाल,  मेवाड़, गुजरात, सिंध, कश्मीर, खानदेश, विजयनगर एवं विच्चिन बहमनी आदि स्वतंत्र राज्य थे।

बाबर को भारत आने का निमंत्रण इब्राहिम लोदी के चाचा आलम खां लोदी और पंजाब के सूबेदार दौलत खान लोदी  ने दिया था। क्योंकि पंजाब के सूबेदार दौलत खान को दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोदी का काम रास नहीं रहा था व साथ मैं इब्राहिम लोदी के चाचा आलम खान दिल्ली की सल्तनत के लिए एक मुख्य दावेदार थे और वो दिल्ली की गद्दी पर राज्य के सपने देख रहे थे। दौलत खां लोदी और आलम खां लोदी बाबर की बहादुरी और उसके कुशल शासन की दक्षता से बेहद प्रभावित हुए इसलिए उन्होंने बाबर को भारत आने का निमंत्रण दिया।

पानीपत का प्रथम युद्ध(21 अप्रैल, 1526 ):-

यह युद्ध दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोदी और काबुल के तैमूरी शासक बाबर के मध्य लड़ा गया। 12 अप्रैल, 1526 ई. को बाबर और मुग़लों की सेनाएँ पानीपत के मैदान में आयी।और इस युद्ध का आरम्भ 21 अप्रैल 1526 ई.को हुआ । युद्ध पानीपत नामक एक छोटे से गाँव के निकट लड़ा गया था जो वर्तमान भारतीय राज्य हरियाणा में स्थित है। इस युद्ध में बाबर के बेटे हूमायुं ने भी भाग लिया था।

अनुमान के मुताबिक बाबर की सेना में लगभग 12,000-25,000  सैनिक और 20 तोपें थीं। इब्राहिम लोदी का सेनाबल 130000 के आसपास था। बाबर ने अपनी सेना की व्यूह-रचना वैज्ञानिक ढंग से की थी। बाबर के घुड़सवारों और तोपखाने के आगे इब्राहीम की विशाल सेना और हाथी न ठहर सके। बाबर ने प्रथम बार इस युद्ध में तुलुगमा युद्ध नीति का प्रयोग किया था और साथ में तोपखाने, गनपाउडर व आग्नेयास्त्रों का प्रयोग भी किया था। बाबर ने तोपों को सजाने के लिए उस्मानी विधि का प्रयोग किया था जिसे रूमी विधि भी कहा जाता है| बाबर के घुड़सवारों और तोपखाने के आगे इब्राहीम की विशाल सेना और हाथी न ठहर सके व इब्राहिम लोदी ने खुद को हारता देख खुद को मार डाला था। कहा जाता है इस युद्ध का फैसला दिन तक ही आ गया था।

पानीपत के इस युद्ध में लूटे गए धन को बाबर ने अपने सैनकों, अधिकारियों एवं सगे सम्बन्धियों में बँटवा दिया था। तथा इस बँटवारे में हुमायूँ को एक कोहिनूर हीरा  प्राप्त हुआ , जिसे बाबर ने अजीत सिंह के भाई राजा विक्रमादित्य, को पानीपत के युद्ध में धराशायी करने के बाद उनकी विधवा से प्राप्त किया था। 

इस हीरे की क़ीमत के विषय में यह कहा जाता है कि पूरे संसार का आधे दिन का ख़र्च इसके मूल्य द्वारा पूरा किया जा सकता था। बाबर ने भारत विजय के ख़ुशी में  प्रत्येक क़ाबुल(अफगानिस्तान) निवासी को एक-एक चाँदी का सिक्का उपहार स्वरूप प्रदान किया था। बाबर की इसी दानी स्वभाव व उदारता के कारण उन्हें ‘कलन्दर’ की उपाधि दी गई । पानीपत के युद्ध के बाद लोदी वंश की शक्ति भारत में बहुत क्षीण अर्थात कम हो गयी । युद्ध के पश्चात् बाबर ने दिल्ली तथा आगरा ही नहीं, बल्कि धीरे-धीरे भारत के समस्त भागों पर भी अधिकार कर लिया।


खानवा का युद्ध (17 मार्च, 1527 ई.) :-


खानवा का युद्ध बाबर और राणा सांगा के बीच फ़तेहपुर सीकरी के पास खानवा नामक स्थान पर लड़ा गया था। इस युद्ध के कारणों के विषय में इतिहासकारों के अनेक मत हैं :-

1. बाबर को राणा सांगा दिल्ली का बादशाह नहीं मानता था।

2.  बाबर एवं राणा सांगा के मध्य हुए समझौतें के अनुसार पानीपत के युद्ध में राणा सांगा को बाबर के सैन्य अभियान में उसकी सहायता करनी थी, परन्तु राणा सांगा ने बाद में अपनी इस बात का खंडन कर दिया ।

3. कुछ इतिहासकारों के अनुसार बाबर एवं राणा सांगा के मध्य युद्ध दोनों के महत्वाकांक्षी योजनाओं का परिणाम था। बाबर सम्पूर्ण भारत पर अपने मुग़ल साम्राज्य की को फैलाना चाहता था तथा राणा सांगा सम्पूर्ण भारत पर एक हिन्दू राज्य की स्थापना करना चाहता था

जिसके फलस्वरूप दोनों महानायकों के मध्य 17 मार्च, 1527 ई. को पानीपत में युद्ध प्रारम्भ हुआ। । इस युद्ध में राणा सांगा का साथ अजमेर, अम्बर, हसन ख़ाँ मेवाती, मारवाड़, बसीन चंदेरी, ग्वालियर, एवं महमूद लोदी ने दिया।


बाबर की सेना का मनोबल, राणा सांगा के संयुक्त सेना (मारवाड़, अजमेर, हसन ख़ाँ मेवाती, बसीन चंदेरी, अम्बर, ग्वालियर आदि ) की ख़बर को सुनकर गिरने लगा। जिसके बाद बाबर ने अपने सैनिकों के उत्साह को बढ़ाने और स्वास्थ्य के लिए शराब को बेचने और पीने पर पूर्ण प्रतिबन्ध की घोषणा कर दी।उसके बाद बाबर ने मुस्लिम जनता से  ‘तमगा कर’ (यह राज्य द्वारा लगाया जाने वाला व्यपारिक कर था) न लेने की घोषणा कर दी। 
खानवा के युद्ध में भी बाबर ने पानीपत की सफल युद्धनीति का उपयोग किया

मुग़लों की आधुनिक युद्ध नीति व सेना के आगे राजपूत टिक न सकें। तथा राणा सांगा बुरी तरह घायल हुए और किसी तरह अपने सहयोगिओं का सहयोग पाकर अपनी जान बचा के बच निकले परन्तु एक वर्ष बाद 30 जनवरी 1528 को राणा सांगा जी की मृत्यु हो गयी।


चन्देरी का युद्ध ( 29 जनवरी 1528 ):-

चन्देरी दुर्ग मध्य प्रदेश के अशोक नगर जिले में स्थित है ओर तथा यह दुर्ग उस समाय राजा मेदिनराय के अधिकार में था। 
चंदेरी का युद्ध मुग़लों और राजपूतों के बीच सन 1528 मे लड़ा गया था। 

इस दुर्ग के विषाय में कहा जाता है कि बाबर की चन्देरी दुर्ग पर काफी समय से की नजर थी। यह दुर्ग बाबर के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण था इसलिए बाबर ने चंदेरी के राजा से यह दुर्ग अपने अधिकार में लेने का प्रस्ताव भेजा और बदले में अपने जीते हुए कोई भी किले को ले लेने के लिए कहा। परन्तु राजा ने बाबर के सभी प्रलोभनों को अस्वीकार कर दिया तब बाबर ने  युद्ध की चेतावनी दे दी।

इस युद्ध में मेदिनी राय को हार का सामना करना पड़ा। मेदिनी राय ने बाबर की अधीनता और प्रभुत्ता को स्वीकार कर लिया और महिलाओं ने जौहर को स्वीकार करके सामूहिक आत्मदाह कर लिया।

घाघरा की लड़ाई (06 मई, 1529) :-

घाघरा का युद्ध मुग़ल बादशाह बाबर और अफ़ग़ानों के मध्य 06 मई, 1529 में, घाघरा में लड़ा गया था। घाघरा बिहार में है जिसका नाम बिहार में बहने वाली घाघरा नदी के नाम पर पड़ा।

अफगानों ने इब्राहिम लोदी के भाई महमूद लोदी के नेतृत्व में बिहार पर अपना अधिकार कायम कर लिया था।  बाबर ने 06 मई, 1529 ई. को बंगाल(बंगाल का सुलतान नुसरतशाह) एवं बिहार की संघटित सेना को घाघरा के युद्ध में रोन्द्र डाला। 

तत्पश्चात इस युद्ध में हार का सामना करने के बाद बंगाल के सुल्तान नुसरतशाह और बाबर ने आपस में सन्धि कर ली। जिसमे नुसरतशाह ने बाबर की प्रभुत्ता स्वीकार की और बाबर के शत्रुओं को अपने साम्राज्य में शरण न देने का आश्वाशन दिया। 

घाघरा का युद्ध बाबर द्वारा लड़ा गया अन्तिम था तथा मध्यकालीन इतिहास में लड़ा गया प्रथम युद्ध था।

यह युद्ध जल और थल दोनों जगह लड़ा गया था।

घाघरा के युद्ध के परिणामस्वरूप बाबर एक बड़े साम्रज्य का स्वामी बन गया उसका राज्य सिंधु से बिहार एवं हिमालय से ग्वालियर तक फैल गया ।


बाबर द्वारा लिखी पुस्तकें :-


       
books written by mughal emperor babar




बाबर की आत्मकथा-

बाबर की आत्मकथा 'बाबरनामा' बाबर ने 'चागताई' भाषा में लिखी थी। जिसका अनुवाद सर्वप्रथम अब्दुर्रहीम खानखाना ने फारसी और श्रीमती बेबरिज ने अंग्रेजी में किया। एलफिंस्टन ने उसकी आत्मकथा के बारे में लिखा है।


बाबर ने अपनी किताब 'बाबरनामा' में भारत पर आक्रमण, कब्ज़ा और राजनैतिक दशाओं के बारे मैं वर्णन किया है  तथा साथ ही उन्होंने हर क्षेत्र की भूमि, प्राकतिक, अर्थव्यवस्था, फलों, जानवरों तथा इमारतों का वर्णन भी किया है 

बाबर ने अपने द्वारा अपनायी गयी तुलुगमा युद्ध नीति की भी इसमें जानकारी है। बाबर ने लिखा है कि भारतवासियों ने खुलकर उनसे दुश्मनी निभाई। जहां भी उनकी सेना गई भारतीयों ने अपने-अपने घरो को जला दिया और जगह-जगह कुओं में जहर डाल दिया। 

बाबर की इस आत्मकथा में 378 पेज हैं तथा भारत के विषय में सुन्दर-सुन्दर चित्रों द्वारा समझाया गया है 

एलफिंस्टन ने बाबर की आत्मकथा के बारे में लिखा है कि – “वास्तविक इतिहास का वह एशिया में पाया जाने वाला अकेला ग्रंथ है।''

बाबर ने अपनी किताब 'बाबरनामा' में पांच मुस्लिम शासक और दो हिन्दू शासकों का वर्णन किया है। मुस्लिम शासक दिल्ली, मालवा, गुजरात और बहमनी से संबंधित थे जबकि मेवाड़ और विजयनगर से हिन्दू शासक थे। इसके साथ ही मुगल सम्राट बाबर ने अपनी आत्मकथा (बाबरनामा) में विजयनगर के राजा कृष्णदेव राय को समकालीन भारत का सबसे ज्यादा बुद्धिमान, कुशल और शक्तिशाली सम्राट कहा है।

बाबर ने अपनी आत्म कथा में में यह भी कहा है − ''राजपूत  मरना−मारना तो जानते है; लेकिन युद्ध करना नहीं जानते।''



बाबर की मृत्यु

बाबर की मृत्यु के विषय में कुछ इतिहासकारों में मतभेद है:-

1. कुछ के अनुसार बाबर ने अपने सबसे प्रिय पुत्र हुमायूँ के बीमार पड़ जाने पर अल्लाह से हुमायूँ को स्वस्थ्य करने की व उसकी बीमारी खुद को दिये जाने की प्रार्थना की थी। इसके बाद हुमायूँ स्वस्थ्य होता गया और और बाबर बीमार बढ़ता गया अंततः 1530 में 48 वर्ष की उम्र में बाबर मृत्यु हो गयी

2. कुछ इतिहासकारों के अनुसार इब्राहिम लोदी की माता ने अपने प्रिय पुत्र के मौत का बदला लेने के लिए बाबर के बावर्ची के साथ मिलकर उसके खाने में जहर मिलवा दिया था जिस से बाबर का स्वास्थ्य बिगड़ गया और उनकी 1530 में  मृत्यु हो गयी 


प्रारम्भ में बाबर के शव को आगरा के 'आराम बाग़' में दफनाया गया जिस बाग़ का निर्माण हुमायूँ ने ही करवाया था| बाद में उनके द्वारा लिखित 'बाबरनामा' पढ़ा गया तब उनकी इच्छा के अनुसार लगभग नौ वर्षों के बाद उन्हें में बाग़-ए -बाबर अफग़ानिस्तान (काबुल) में दफनाया गया।

हुमायूँ अपने पिता के बाद भारत में मुग़ल शासक बने और दिल्ली की गद्दी पर राज्य किया|



बाबर द्धारा बनवाये गये इमारतों का विवरण 


      
building built by mughal emperor babur


मुग़ल सम्राटों का कालक्रम :-

     
Babar Dynasty Mughal Empire Dynasty


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FAQ (Frequently Asked Answer) :-

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Answer 1: बाबर ने।

Answer 2: बाबर ने भारत पर पहला आक्रमण 1519 ईं में बाजौर पर किया था और इस आक्रमण में बाबर ने भेरा के किले को जीता था। इस प्रकार बाबर भारत में पहली बार 1519 में भारत आया जबकि 21 अप्रैल,1526 में उसने पानीपत का युद्ध लड़ा था।

Answer 3: बाबर तैमूरलंग का तीसरा पोता था।

Answer 4: बाबर रोड राजधानी दिल्ली के बंगाली मार्केट क्षेत्र में स्थित है|

Answer 5:तैमूर लंग ( 8 अप्रैल 1336 – 18 फ़रवरी 1405) ने तैमूरी राजवंश की स्थापना की थी जो चौदहवी शताब्दी का एक शासक था।

Answer 6: भारत पर आक्रमण:– प्रथम आक्रमण (1519):- उत्तर पश्चिम में बाजौर और भेरा के दुर्ग पर। द्वितीय आक्रमण (1519)-पेशावर पर तृतीय आक्रमण (1520)-बाजौर और भेरा चतुर्थ आक्रमण (1524)-लाहौर पर

Answer 7: चगताई भाषा में|

Answer 8: 5 बार

Answer 9: कुछ इतिहासकारों के अनुसार इब्राहिम लोदी की मौत का बदला लेने के लिए उनकी माँ ने बाबर को ज़हर दे दिया था|

Answer 10: बाबर का मकबरा अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के बाग़-ए-बाबर में है क्योंकि मुगल वंश के संस्थापक बाबर की इच्छा थी कि उनकी समाधि उनके पसंदीदा स्थल बाग-ए-बाबर (Gardens of Babur) में बनाई जाए।

Answer 11: बाबर एक सुन्नी मुसलमान थे।

Answer 12: हुमायूँ

Answer 13: चंगेज़ ख़ान (सन् 1162 – 18 अगस्त, 1227) एक मंगोल ख़ान (शासक) था जिसने मंगोल साम्राज्य के विस्तार में एक अहम भूमिका निभाई। चंगेज़ ख़ान मंगोल शासक था, जिसने अपनी तलवार के बल पर एशिया के एक बड़े हिस्से पर क़ब्ज़ा कर लिया था। इतिहास में इतने बड़े हिस्से पर आज तक किसी ने कब्ज़ा नहीं किया।

Answer 14: बाबर अकबर का दादा (बाबा) था।

Answer 15: बाबर।

Answer 16: 4 years ( 1526 -1530 )

Answer 17: घाघरा का युद्ध

Answer 18: Babar (Urdu: بابر ‎) अर्थ :- बाघ (Tiger )

Answer 19: उस्मानी विधि जिसे रूमी विधि भी कहा जाता है |

Answer 20: जहांगीर और बहादुरशाह जफर के |

Answer21: तोपची थे जिन्होंने पानीपत के युद्ध में तोपों की कमान संभाली थी |

Answer 22: समरकंद में|

Answer 23: बाबर

Answer24: 8 June 1494

Answer25: फारसी





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